बुद्ध पूर्णिमा एवं चंद्र ग्रहण का महत्व

 

वैशाख माह की पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है. 

बौद्ध धर्म के अनुसार वैशाख माह की पूर्णिमा को गौतम बुद्ध के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। धार्मिक मान्यतानुसार इस तिथि को महात्मा बुद्ध का जन्म हुआ था जो कि भगवान विष्णु के ही अवतार माने जाते हैं। बुद्ध पूर्णिमा को गौतम बुद्ध एवं भगवान विष्णु तथा चंद्र देव की पूजा-अर्चना का विधान है।

वैशाख और बुद्ध पूर्णिमा का महत्व

बुद्ध/वैशाख पूर्णिमा पर्व पर पवित्र नदी में स्नान करने का विशेष महत्व होता है। धार्मिक मान्यतानुसार पवित्र नदी के जल से स्नान करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-शांति, समृद्धि रहती है। बुद्ध पूर्णिमा पर भगवान विष्णु की भी पूरे विधि-विधान के साथ पूजा की जाती है। इस दिन दान-पुण्य और धार्मिक कार्य करने से विशेष फलों की प्राप्ति होती है।

उपछाया चन्द्र ग्रहण व समय

यहां पर कई जातकों के मन में प्रश्न होगा कि उपछाया चंद्रग्रहण क्या होता है? आपको अवगत कराते हैं सूर्य और चंद्रमा के मध्य जब पृथ्वी आती है और ये तीनों ग्रह एक सीधी रेखा में आ जाते हैं, तब चंद्र ग्रहण होता है। जब ये तीनों ग्रह एक सीधी रेखा में हों, परंतु पृथ्वी की सीधी छाया चंद्र पर न पड़ रही हो तो इसे उपच्छाया चंद्र ग्रहण कहा जाता है) उपच्छाया चंद्रग्रहण वास्तव में चंद्र ग्रहण नहीं होता है, इसका कोई धार्मिक महत्व भी नहीं है। इसका कोई सूतक नहीं मनाया जाएगा। मंदिर के कपाट भी बंद नहीं होंगे।

यह एक आकाशीय घटना है अतः जिन जातकों की कुंडली में चंद्रमा कमजोर स्थिति में हो या चंद्रमा की युति राहु एवं केतु तथा शनि के साथ हो ऐसे सभी जातकों को चंद्र ग्रहण पर सफेद वस्तुओं का दान अवश्य करना चाहिए सफेद वस्तुओं में सफेद वस्त्र, चावल, दूध, दही, मोती, चांदी, घी, दक्षिणा स्वेच्छा अनुसार दान करें। और इस मंत्र का 108 बार जप करें–

ॐ सों सोमाय नम:।

ग्रहण काल में गर्भवती महिलाएं सावधानी बरतें धारदार हथियार न चलाएं सुई का प्रयोग ना करें। धार्मिक पुस्तकों का अध्ययन करें ग्रहण के उपरांत स्नान के बाद ही भोजन ग्रहण करें।

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