हरेला पर्व एवं सोमवती अमावस्या

सभी सनातन धर्म प्रेमियों को सादर प्रणाम!

अवगत कराना चाहूंगी *दिनांक 17 जुलाई 2023 दिन सोमवार को उत्तराखंड का लोक पर्व हरेला एवं सोमवती अमावस्या तथा अधिक मास का प्रारंभ होगा*।

सोमवार अमावस्या व्रत निर्णय– सोमवार के दिन अमावस्या पर श्रद्धालुओं में उपवास पूजनादि को लेकर संशय की स्थिति रहती है अतः स्पष्ट करना चाहूंगी सोमवार व मंगलवार युक्त अमावस्या स्नान दान आदि सभी आध्यात्मिक कार्यों हेतु अत्यंत पवित्र एवं पुण्यदायी मानी जाती है। ( *अमावस्या सोमभौमवायुता स्नानँदानादौ महापुण्या-धर्मसिंधु*)। अतः 17 जुलाई 2023 कर्काक 1 गते सोमवार को शिव–पार्थिव पूजा उपवास एवं सभी पुण्य कार्य अवश्य करने चाहिए।

सोमवती अमावस्या पर गंगा स्नान से सभी कष्टों का नाश होता है सोमवार भगवान शिव शंकर एवं देवी पार्वती को समर्पित है। अतः जो भी जातक भगवान भोले शंकर एवं देवी पार्वती की पूजा अर्चना करते हैं उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं एवं अटल सौभाग्य की प्राप्ति होती है। सोमवती अमावस्या पर सर्वार्थ सिद्धि योग व शुभ योग, बुधादित्य योग का निर्माण भी हो रहा जो कि सोमवती अमावस्या पर को और विशेष बनाता है।

*उपाय*

सोमवती अमावस्या पर गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान करें तथा पीपल के वृक्ष पर जल चढ़ाएं व दीपक प्रज्वलित करें।पितरों के निमित्त किसी जरूरतमंद व्यक्ति या ब्राह्मण को अन्न, वस्त्र दान करें। जिन जातकों को शनि की ढैया एवं साढ़ेसाती चल रही है उन सभी को गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए एवं जिन जातकों की कुंडली में शनि का नकारात्मक प्रभाव है उन सभी को शनि मंदिर में काली वस्तुओं का दान करना चाहिए एवं शिव पार्वती की विशेष पूजा वंदना करनी चाहिए तथा 11 बार हनुमान चालीसा का सायंकाल पाठ करना भी अति शुभ फल प्रदान करेगा।

*हरेला*

उत्तराखंड एक पवित्र भूमि है सभी व्यक्ति उत्तराखंड का नाम लेने से पूर्व देवभूमि उत्तराखंड लगाते हैं पर्वतीय संस्कृति एवं वहां के तीज पर्व की बात ही निराली होती है। उत्तराखंड की एक विशेष बात है कि यहां पर सभी पर्वों को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इसी तरह सुख समृद्धि, पर्यावरण संरक्षण और प्रेम का प्रतीक हरेला लोक पर्व कुमाऊं क्षेत्र और गढ़वाल तथा उत्तराखंड से बाहर रहने वाले उत्तराखंडी भी हरेला पर्व को बड़े उत्साह से मनाते हैं। श्रावण मास 1 गते को मनाए जाने वाला हरेला पर्व सामाजिक रूप से अपना विशेष महत्व रखता है तथा समूचे कुमाऊं में अति महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक माना जाता है जैसा कि आप सभी जानते हैं श्रावण माह भगवान भोले शंकर का प्रिय माह है इसलिए हरेला पर्व को कई स्थानों में हरी–काली के नाम से भी जाना जाता है। यह सर्वविदित है कि देवों की भूमि उत्तराखंड में ईश्वर स्वयं विराजमान है ऐसी हम सभी की आस्था है यहां पर शिव के अनेक धाम हैं जैसे भोले शंकर की नगरी केदारनाथ धाम, यहां पर जागेश्वर धाम शिव का पवित्र स्थान है जहां पर कहा जाता है कि साक्षात शिवलिंग के रूप में विराजमान है इसलिए भी उत्तराखंड में श्रावण माह में पड़ने वाले हरेला पर्व का अपना विशेष महत्व माना जाता है।

*पुरुषोत्तम (अधिक मास) मास*

17 जुलाई 2023 से पुरुषोत्तम (अधिक मास) प्रारंभ हो रहा है। पुरुषोत्तम माह को संक्षेप में समझाने का प्रयास करती हूं 1 वर्ष में सूर्य माह के अनुसार 365.25 दिन होते हैं और चंद्रमाह के अनुसार 354 दिन होते हैं अतः प्रत्येक वर्ष चंद्रमाह और सूर्य माह के मध्यांतर को प्रत्येक तीन वर्ष में अधिक मास के रूप में समायोजित किया जाता है। इसलिए हिंदू पंचांग के अनुसार तीसरे वर्ष 12 की अपेक्षा 13 माह का वर्ष रहता है। जिसे पुरूषोत्तम मास के रूप में जाना जाता है।

पुरुषोत्तम भगवान श्री हरि विष्णु का ही दूसरा नाम है पुरुषोत्तम माह के स्वामी स्वयं भगवान विष्णु है अतः पुरुषोत्तम माह में सभी प्रकार की पूजा, अर्चना,जप, उपवास, हवन, भागवत कथा, शिव पूजा सभी प्रकार के धार्मिक कार्य अत्यधिक शुभ फल प्रदान करते हैं अत: नि:संकोच सभी प्रकार के धार्मिक कार्य स्वच्छंद मन से करें ।

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